तुम्हारे जाने के बाद
जीवन का सारांश
समझ आ गया
वो जो अपने होते है
उन्ही से जीवन होता है
एक छोटी सी बात पे
मैने कुछ बोल दिया
तुमने उसको बड़ा बना कर
बेवजह मोल दिया
किसकी ग़लती कौन जाने
बस देखता हूँ दरवाज़े को
कोई दस्तक दे शायद
क्या करूँ, किससे बात करूँ
अकेला हूँ पर भीड़ है बौहत
थक गया हूँ अपने से लड़ते लड़ते
तुम्हारे बिना एक प्याला चाय का
भी स्वाद नहीं देता
बस तुम हो सामने
तो ज़िंदगी कट जाएगी
तुम से ही मेरा जीवन है
sachmuch apnon se hi jeevan hota hai sndeep ji. behtarin kavita ke liye badhai.
ReplyDelete- virendra vats
narayan narayan
ReplyDeleteBahut hi sundar aur bhaavpoorn abhivyakti .. man ko chooti hui rachna. aapne bahut accha likha hai ji....
ReplyDeleteMeri badhai sweekar kijiyenga.
Dhanywad.
Vijay
Please read my new poem “ jheel “ on my blog : http://poemsofvijay.blogspot.com/
bahut achhi kavita likhi lagta hai pure dil se likhi hai mujhe bahut pasand aayi.
ReplyDeleteभावुक रचना.
ReplyDeleteचिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
गुलमोहर का फूल