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सर्द मौसम मैं

सर्द मौसम मैं
वो देख रही थी
दरवाज़े को
किसी के आने की आहट थी
या एक ख्वाब था
उसने सोचा वो आएगा
और आते ही छु लेगा उसको
कस के पकड़ लेगा बाहों मैं
और जाने ना देगा कहीं...
जब उम्मीद का दिया बुझ गया
और उसने नज़र फेर ली दरवाज़े से
फिर पता नही क्या हुआ
बस एक अजीब सी खुश्बू समा गयी
नस-नस मैं
उसने मुड़ कर देखा
और बस देखती ही रह गयी
छेड़ के बोली थी
खुले दरीचों से आती हुई
ठंडी सबा
जल्दी से अपने जानम की
बाहों मैं समा जा
शायद कुछ हरारत का एहसास हो
और कुछ शरारत का आगाज़ हो
और दरवाज़ा भी हवा से बंद हो गय

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तुम से ही मेरा जीवन है

तुम्हारे जाने के बाद जीवन का सारांश समझ आ गया वो जो अपने होते है उन्ही से जीवन होता है एक छोटी सी बात पे मैने कुछ बोल दिया तुमने उसको बड़ा बना कर बेवजह मोल दिया किसकी ग़लती कौन जाने बस देखता हूँ दरवाज़े को कोई दस्तक दे शायद क्या करूँ , किससे बात करूँ अकेला हूँ पर भीड़ है बौहत थक गया हूँ अपने से लड़ते लड़ते तुम्हारे बिना एक प्याला चाय का भी स्वाद नहीं देता बस तुम हो सामने तो ज़िंदगी कट जाएगी तुम से ही मेरा जीवन है

Jism Tarasha tha tumhara

ख़ुसरो वापस आ जाओ

ख़ुसरो कहाँ खो गये तुम ख्वाजा जी के साथ कब तक रहोगे इस सूखे हुए दरिया मैं एक ओस गिरा जाओ ख़ुसरो वापस आ जाओ ख़ुसरो ये दुनिया दर्द से पेहम है हर सू ग़म ही ग़म है फिर अपने कलाम की खुश्बू बिखेर जाओ ख़ुसरो वापस आ जाओ ख़ुसरो तुम्हारी कब्र पे खड़ा हूँ हाथ फैलाए तुम्हारा और औलिया का रिश्ता एक रूहानी मंज़र था हम इंसानों को भी वो राज़ बता जाओ ख़ुसरो वापस आ जाओ ख़ुसरो हर तरफ दहशत का साया है खुदा को भी नही बक्शा है किसी ने टुकड़े कर दिए हैं इस क़यनात के इन टुकड़ों को इश्क़ के बंधन मैं जोड़ जाओ ख़ुसरो वापस आ जाओ