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ख़ुसरो वापस आ जाओ

ख़ुसरो कहाँ खो गये तुम
ख्वाजा जी के साथ कब तक रहोगे
इस सूखे हुए दरिया मैं
एक ओस गिरा जाओ
ख़ुसरो वापस जाओ
ख़ुसरो ये दुनिया
दर्द से पेहम है
हर सू ग़म ही ग़म है
फिर अपने कलाम की
खुश्बू बिखेर जाओ
ख़ुसरो वापस जाओ
ख़ुसरो तुम्हारी कब्र पे
खड़ा हूँ हाथ फैलाए
तुम्हारा और औलिया का रिश्ता
एक रूहानी मंज़र था
हम इंसानों को भी
वो राज़ बता जाओ
ख़ुसरो वापस जाओ
ख़ुसरो हर तरफ दहशत का साया है
खुदा को भी
नही बक्शा है किसी ने
टुकड़े कर दिए हैं
इस क़यनात के
इन टुकड़ों को
इश्क़ के बंधन मैं जोड़ जाओ
ख़ुसरो वापस जाओ

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